नई दिल्ली - शुक्रवार को छठ महापर्व के दूसरे दिन खरने के साथ ही 36 घंटे के निर्जला व्रत शुरू हो गया है।
आचार्य डा. सुशांत राज के मुताबिक इस बार छठ महापर्व पर ग्रह गोचरों का शुभ संयोग बन रहा है। शनिवार को सायं कालीन अर्घ्य पर त्रिपुष्कर योग का संयोग बन रहा है। जबकि रविवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के दौरान सर्वार्थसिद्धि योग के साथ त्रिपुष्कर योग का शुभ संयोग भी बन रहा है।
महिलाओं ने मिट्टी के कलश, सुपली डालिया और तरह-तरह के मौसमी फल खरीदे। कच्ची हल्दी का पौधा, गन्ना, अमरस की खरीदार की। देर शाम को महिलाओं ने दूध, खीर, घी-रोटी युक्त खरना ग्रहण कर निर्जला व्रत की शुरूआत की।
सूर्य उपासना और लोक आस्था के महापर्व छठ का पहला अर्घ्य शनिवार को दिया जाएगा। शहर के तमाम घाटों पर दोपहर से पहले महापर्व की रौनक देखने को मिलेगी। शाम को छठ के गीतों के बीच सुहागिनें परिजनों के साथ पूजा करने के बाद फलों से भरी टोकरी लेकर कमर तक पानी में उतर कर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगी।
छठ पर्व की कहानी भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संध्या से जुड़ी है। जब संध्या सूर्य के तेज से नाराज होकर तपस्या करने चली गई तो, उन्होंने अपनी छाया को सूर्य के पास छोड़ दिया। जब संध्या तपस्या करके आई तो सूर्य क्रोधित हो गए। छाया को उन्होंने जाने को कह दिया लेकिन उसने अपना स्थान मांगा तो सूर्य ने उन्हें छठी मैया के रूप में ढाई दिन के लिए अपने साथ रहने का वरदान दिया। यही कारण है कि छठ पर्व पर व्रत कर अनुष्ठान ढाई दिन होता है।
मंत्रजाप करते समय सूर्य भगवान को 7 बार अर्घ्य देना चाहिए.
छठ पूजा भगवान सूर्य की उपासना का सबसे बड़ा पर्व है. छठ पूजा में उगते सूर्य और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. अगर सूर्य भगवान को प्रसन्न करने और मनोवांछित फल पाने के लिए कुछ मंत्रों का जाप करना चाहिए.
सूर्य को 'सर्वति साक्षी भूतम' (सब कुछ देखने वाला) कहा गया है. ऐसा कहा जाता है कि सूर्य भगवान हर क्रियाकलाप के साक्षी हैं और सूर्य की उपासना नहीं करने वाले लोगों से भगवान रुष्ट हो जाते हैं. इसलिए सूर्य भगवान को वैसे तो किसी की मदद करके या शुभ कर्मों के द्वारा भी प्रसन्न किया जा सकता है लेकिन अगर उपासना करते वक्त इन मंत्रों का जाप किया जाए तो मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं.सूर्य मंत्र का जाप बहुत ही आसान है. इसका जाप करने का सबसे सही समय सूर्योदय है. इन मंत्रों को अलग-अलग 12 मुद्राओं के साथ जपा जा सकता है।
ऊं मित्राय नम:
ऊं रवये नम:
ऊं सूर्याय नम:
ऊं भानवे नम:
ऊं पुष्णे नम:
ऊं मारिचाये नम:
ऊं आदित्याय नम:
ऊं भाष्कराय नम:
ऊं आर्काय नम:
ऊं खगये नम:
कई व्रत-त्योहार भगवान सूर्य को समर्पित हैं. मकर संक्रान्ति, रथ सप्तमी, छठ और संबा दशमी में भगवान सूर्य की उपासना की जाती है.
सूर्य मंत्र के लाभ
भगवान सूर्य को आत्मा का हिस्सा माना जाता है. सूर्य मंत्र का जाप करते समय अर्घ्य देना और भी शुभ फलदायी होता है. इससे स्वास्थ्य लाभ भी होता है.
नियमित तौर पर सूर्य मंत्र का जाप करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है..
मंत्रजाप करते समय सूर्य भगवान को 7 बार अर्घ्य देना चाहिए. अगर आप और ज्यादा शुभ फल की प्राप्ति चाहते हैं तो आपको लाल रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए.
ऋग्वेद क्या कहता है
ऋग्वेद के मुताबिक, सूर्योदय के वक्त उठेन वाले व्यक्ति के सभी कार्य पूरे होते हैं. ब्रह्मांड के सभी जीव और चीजें सूर्य पर आश्रित हैं. सूर्य सभी के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकार दूर करता है.
सूर्य के 7 रंगों का खास महत्व है. सूर्य मंत्र का जाप करने से इन रंगों की ऊर्जा प्राप्त करने में मदद मिलती है. सूर्य मंत्र के जाप से बुद्धि बढ़ाने में भी मदद मिलती है.
अर्घ्य कैसे दें
तांबे के बर्तन में जल भरें, इसमें लाल चंदन, कुमकुम और लाल रंग का फूल डालें. सूर्योदय के समय पूर्व की दिशा में मुंह करके अर्घ्य दें. अगर आप सूर्य को अर्घ्य देते समय किसी पौधे की जड़ पर जल चढ़ाते हैं तो और बेहतर होगा.
अपने सिर की ऊंचाई के बराबर तांबे के पात्र को ले जाकर सूर्य मंत्र का जाप करें ।
Posted by - Anand Pandey